साल 2019 में स्मार्टफोन की दुनिया में एक नया ट्रेंड देखने को मिला था Upar Se Camera Nikalne Wala Phone जिसे पॉप-अप कैमरा कहते है। पहिली बार इस टेक्नोलॉजी को देखे के सबकी होन्स उड़ गए थे सब की मन में एक ही सबाल आरहा था की ऐसा भी होना मुमकिन है ? इस तकनीक ने फोन को पूरी तरह से डिस्प्ले बनाने की कोशिश की और हर कंपनी ने इसे अपनाया। लेकिन आज, केवल कुछ सालों बाद, यह ट्रेंड लगभग गायब हो चुका है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि पॉप-अप कैमरा कैसे आया और क्यों गायब हो गया।
Upar Se Camera Nikalne Wala Phone कब आया था
2018-2019 के समय में पॉप-अप कैमरा तकनीक बेहद लोकप्रिय हो गई थी। इसने स्मार्टफोन को पूरी स्क्रीन वाला बनाने में मदद की, जिससे फोन का डिज़ाइन बहुत ही आकर्षक और फ्यूचरिस्टिक लगता था। वनप्लस, रियलमी, और रेडमी जैसी कंपनियों ने इस तकनीक को अपनाया और अपने फोन में पॉप-अप कैमरा लगाया। पॉप-अप कैमरा का उद्देश्य था कि फोन के फ्रंट में नॉच या होल की जरूरत नहीं पड़े, जिससे उपयोगकर्ता को एक शानदार व्यूइंग अनुभव मिल सके।
पॉप-अप कैमरा के आने से फोन की सेल्स भी बढ़ीं, क्योंकि लोगों को यह नई तकनीक बहुत ही आकर्षक लगी। इसमें एक अलग ही फ्यूचरिस्टिक लुक था, जो उस समय के स्मार्टफोन ट्रेंड में एक बड़ा बदलाव लेकर आया था।
Upar Se Camera Nikalne Wala Phone के फायदे
पॉप-अप कैमरा के कई फायदे थे, जिनकी वजह से यह तकनीक इतनी लोकप्रिय हुई
- बिना किसी नॉच या होल के, फोन का फ्रंट पूरी तरह से डिस्प्ले होता था, जिससे यूजर्स को एक बेहतरीन व्यूइंग अनुभव मिलता था।
- जब जरूरत हो, तब ही कैमरा पॉप-अप होता था, जिससे फोन का डिज़ाइन साफ-सुथरा और आकर्षक रहता था।
- पॉप-अप कैमरा में बड़े सेंसर और लेंस फिट किए जा सकते थे, जिससे फोटो की गुणवत्ता बेहतर होती थी। यह उन यूजर्स के लिए बहुत फायदेमंद था जो फोटोग्राफी पसंद करते हैं।
- पॉप-अप कैमरा एक प्रकार की प्राइवेसी भी देता था क्योंकि कैमरा तभी एक्टिव होता था जब उसे पॉप-अप किया जाता था।
Upar Se Camera Nikalne Wala Phone के नुकसान
हालांकि, पॉप-अप कैमरा के कुछ महत्वपूर्ण नुकसान भी थे, जिनकी वजह से यह तकनीक लंबे समय तक टिक नहीं पाई:
- मूविंग पार्ट्स होने की वजह से पॉप-अप कैमरा जल्दी खराब हो सकते थे। लगातार उपयोग के कारण इसमें प्रॉब्लम आ सकती थी।
- पॉप-अप कैमरा वाले फोन में धूल और पानी का खतरा ज्यादा था, क्योंकि मूविंग पार्ट्स में गेप्स होते थे। इससे फोन के अंदर डस्ट और पानी जा सकता था, जिससे कैमरा और अन्य पार्ट्स खराब हो सकते थे।
- पॉप-अप कैमरा की वजह से फोन मोटे और भारी हो जाते थे, जिससे उन्हें कैरी करना और इस्तेमाल करना थोड़ा मुश्किल हो जाता था।
- पॉप-अप कैमरा लगाने से फोन की कीमत बढ़ जाती थी, जिससे यह तकनीक सभी के लिए सुलभ नहीं हो पाती थी।
- पॉप-अप कैमरा की मरम्मत करना भी कठिन था, क्योंकि इसमें मूविंग पार्ट्स होते थे। अगर कैमरा खराब हो जाता था तो उसे रिपेयर करना महंगा और मुश्किल हो जाता था।
लगभग दो साल के अंदर ही पॉप-अप कैमरा तकनीक में गिरावट आनी शुरू हो गई। कंपनियों ने महसूस किया कि यह तकनीक लंबे समय तक टिकाऊ नहीं है और इसे मेनटेन करना मुश्किल है। इसके अलावा, मूविंग पार्ट्स की वजह से फोन की मरम्मत करना भी कठिन हो जाता था।
पॉप-अप कैमरा के अंत की शुरुआत तब हुई जब स्मार्टफोन कंपनियों ने देखा कि यूजर्स के फोन में पॉप-अप कैमरा के कारण कई समस्याएं आ रही हैं। मूविंग पार्ट्स होने के कारण कैमरा में अक्सर डस्ट और पानी का असर होता था, जिससे कैमरा जल्दी खराब हो जाता था। इसके अलावा, पॉप-अप कैमरा की मरम्मत भी बहुत महंगी होती थी, जिससे यूजर्स को काफी परेशानी होती थी।
पॉप-अप कैमरा के बाद पंच-होल कैमरा और अंडर-डिस्प्ले कैमरा तकनीक ने तेजी से जगह बनाई। ये तकनीकें ज्यादा टिकाऊ, सस्ती और फ्यूचर-प्रूफ हैं। पंच-होल कैमरा में डिस्प्ले में एक छोटा सा छेद होता है, जिसमें कैमरा लगा होता है। यह तकनीक पॉप-अप कैमरा की तुलना में ज्यादा प्रैक्टिकल और प्रभावी साबित हुई।
पंच-होल कैमरा तकनीक ने पॉप-अप कैमरा को रिप्लेस किया, क्योंकि यह तकनीक ज्यादा टिकाऊ और सस्ती थी। इसमें मूविंग पार्ट्स नहीं होते थे, जिससे कैमरा की लाइफ ज्यादा होती थी और उसे रिपेयर करना भी आसान होता था। इसके अलावा, पंच-होल कैमरा की वजह से फोन की थिकनेस भी कम होती थी, जिससे फोन पतले और हल्के होते थे।
अंडर-डिस्प्ले कैमरा तकनीक अभी भी विकास के चरण में है, लेकिन यह भविष्य की तकनीक मानी जा रही है। इसमें कैमरा डिस्प्ले के नीचे होता है और कैमरा का उपयोग न होने पर डिस्प्ले का हिस्सा बन जाता है। यह तकनीक बहुत ही एडवांस्ड है और इसमें अभी भी सुधार की जरूरत है, लेकिन आने वाले समय में यह स्मार्टफोन इंडस्ट्री का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकती है।
अंडर-डिस्प्ले कैमरा तकनीक अभी भी विकास के चरण में है, लेकिन यह भविष्य की तकनीक मानी जा रही है। इसमें कैमरा डिस्प्ले के नीचे होता है और कैमरा का उपयोग न होने पर डिस्प्ले का हिस्सा बन जाता है। इस तकनीक में अभी भी सुधार की जरूरत है, लेकिन आने वाले समय में यह स्मार्टफोन इंडस्ट्री का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकती है।
अंडर-डिस्प्ले कैमरा की तकनीक में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। इसमें कैमरा की क्वालिटी को मेंटेन करना मुश्किल होता है, क्योंकि डिस्प्ले के नीचे कैमरा को सही रोशनी और स्पष्टता नहीं मिल पाती। लेकिन तकनीक के सुधार के साथ, यह समस्या भी हल हो सकती है।
Best Upar Se Camera Nikalne Wala Phone
पॉप-अप कैमरा वाले फोन एक समय पर काफी पॉपुलर थे और कई बड़ी कंपनियों ने इन्हें लॉन्च किया था। यहां कुछ बेहतरीन पॉप-अप कैमरा फोन की सूची है, जो अपने समय में बहुत ही चर्चित और पसंदीदा रहे
1. OnePlus 7 Pro
वनप्लस 7 प्रो एक बेहतरीन पॉप-अप कैमरा फोन था। इसमें 6.67 इंच की QHD+ AMOLED डिस्प्ले और 90Hz रिफ्रेश रेट था। इस फोन का पॉप-अप सेल्फी कैमरा 16 मेगापिक्सल का था। इसके अलावा, इसमें ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप और स्नैपड्रैगन 855 प्रोसेसर भी था।
2. Xiaomi Redmi K20 Pro
रेडमी K20 प्रो में 6.39 इंच की फुल HD+ AMOLED डिस्प्ले थी और इसमें 20 मेगापिक्सल का पॉप-अप सेल्फी कैमरा था। फोन में स्नैपड्रैगन 855 प्रोसेसर और ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप (48 मेगापिक्सल + 13 मेगापिक्सल + 8 मेगापिक्सल) था।
3. Vivo V15 Pro
Vivo V15 Pro में 6.39 इंच की फुल HD+ सुपर AMOLED डिस्प्ले और 32 मेगापिक्सल का पॉप-अप सेल्फी कैमरा था। फोन में ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप (48 मेगापिक्सल + 8 मेगापिक्सल + 5 मेगापिक्सल) और स्नैपड्रैगन 675 प्रोसेसर था।
4. Oppo Reno 10x Zoom
Oppo Reno 10x Zoom में 6.6 इंच की फुल HD+ AMOLED डिस्प्ले और 16 मेगापिक्सल का पॉप-अप सेल्फी कैमरा था। इसमें ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप (48 मेगापिक्सल + 13 मेगापिक्सल + 8 मेगापिक्सल) और स्नैपड्रैगन 855 प्रोसेसर था। इस फोन की खासियत इसका 10x हाइब्रिड ज़ूम था।
5. Asus Zenfone 6
Asus Zenfone 6 एक अनोखे फ्लिप कैमरा के साथ आता था, जो रियर कैमरा को ही सेल्फी कैमरा में बदल देता था। इसमें 48 मेगापिक्सल का मुख्य कैमरा और 13 मेगापिक्सल का अल्ट्रा-वाइड कैमरा था। फोन में 6.4 इंच की फुल HD+ डिस्प्ले और स्नैपड्रैगन 855 प्रोसेसर था।
6. Huawei Y9 Prime 2019
Huawei Y9 Prime 2019 में 6.59 इंच की फुल HD+ डिस्प्ले और 16 मेगापिक्सल का पॉप-अप सेल्फी कैमरा था। इसमें ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप (16 मेगापिक्सल + 8 मेगापिक्सल + 2 मेगापिक्सल) और किरिन 710F प्रोसेसर था।
7. Realme X
Realme X में 6.53 इंच की फुल HD+ AMOLED डिस्प्ले और 16 मेगापिक्सल का पॉप-अप सेल्फी कैमरा था। इसमें डुअल रियर कैमरा सेटअप (48 मेगापिक्सल + 5 मेगापिक्सल) और स्नैपड्रैगन 710 प्रोसेसर था।
पॉप-अप कैमरा ने स्मार्टफोन इंडस्ट्री में एक नई क्रांति ला दी थी, लेकिन कुछ सालों में ही यह तकनीक अपने नुकसान की वजह से गायब हो गई। पंच-होल और अंडर-डिस्प्ले कैमरा तकनीकें पॉप-अप कैमरा की जगह ले रही हैं और स्मार्टफोन को ज्यादा टिकाऊ, सस्ता और प्रभावी बना रही हैं।
पॉप-अप कैमरा की तकनीक ने हमें यह सिखाया कि हर नई तकनीक को अपनाने से पहले उसके फायदे और नुकसान को समझना बहुत जरूरी है। पॉप-अप कैमरा ने स्मार्टफोन को फ्यूचरिस्टिक और आकर्षक बनाया, लेकिन उसके नुकसान ने इस तकनीक को ज्यादा लंबे समय तक टिकने नहीं दिया। आने वाले समय में हमें और भी नई तकनीकें देखने को मिल सकती हैं, जो स्मार्टफोन के डिज़ाइन और फंक्शनालिटी को और भी बेहतर बनाएंगी।
अंत में, पॉप-अप कैमरा एक ऐसी तकनीक थी जिसने स्मार्टफोन इंडस्ट्री में एक नई दिशा दी, लेकिन उसके नुकसान ने इसे ज्यादा लंबे समय तक टिकने नहीं दिया। अब स्मार्टफोन इंडस्ट्री में पंच-होल और अंडर-डिस्प्ले कैमरा तकनीकें उभर रही हैं, जो स्मार्टफोन को और भी उन्नत और उपयोगी बना रही हैं। आने वाले समय में हमें और भी नई और उन्नत तकनीकें देखने को मिल सकती हैं, जो स्मार्टफोन को और भी बेहतर और उपयोगी बनाएंगी।